ननिहाल
शीर्षक – ननिहाल
आयी गर्मी की छुट्टियां, याद आया ननिहाल।
नाना- नानी की याद में, बच्चें हुए बेहाल।।
पलक पांवड़े बिछाएं, कर रहे इंतजार ,कब आएं नन्द लाल।
स्वागत है, वंदन है, अभिनन्दन है,जमाई राजा संग आना हर हाल।।
चलों मम्मी सपरिवार, नहीं तो नाना होगें लाल।
सब बच्चें मिल कर,खूब करेंगे मस्ती और धमाल।।
नानी खिलाएं दूध मलाई, और नाना घुमाएं ताल।
मामा जी के संग , लूडों, चैश,सांप सीढ़ी ,कैरम की खेलें नई – नई चाल।।
रोज रात,नाना जी सुनाएं कहानियां, विक्रम वेताल।
मम्मी सभी के साथ करें, पूजन – आरती सुर-ताल।।
मासी करें है लाड़, हंसते- हंसते हुए गुलाबी गाल।
नित नई फरमाईश पूरी कर,मामी चूमतीं भाल।।
मां – बाप रखते सदैव आस,बेटियां रहे सदा खुशहाल।
हमेशा करतें है कामना,स्वर्ग से सुन्दर हो ससुराल।।
आया करो तीज त्यौहार,बेटी तुम रखना, सबके संग अपना भी ख्याल।
बचपन से पचपन तक , कभी न भूलें हम ननिहाल।।
विभा जैन (ओज्स)
इंदौर (मध्यप्रदेश)