Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2021 · 1 min read

नदी की धार में मछली भी

नदी की धार में मछली भी

नदी की धार में मछली भी , तिनका बन बह जाती है
जीवन के झंझावातों में, जिन्दगी तड़प कर रह जाती है

सागर के तट पर बैठ, लहरों का नज़ारा ले क्यों
लहरों से जो न टकरायें , वो जिन्दगी नासूर बन रह जाती है

बगैर पंखों के कोई आसमां में , उड़े तो उड़े कैसे
बगैर हौसलों के जिन्दगी , अधूरे प्रयासों का समंदर हो जाती है

किसी के प्रयास उसकी मंजिल का , पता हुए तो हुए क्यों नहीं
खुद पर एतबार न हो तो , कोशिशें बेकार हो रह जाती हैं

उत्कर्ष की राह पर, प्रयासों को जो , अपना हमसफ़र न करो
असफलताओं के दौर में , जिन्दगी फंसकर रह जाती है

अपने हौसलों , अपने प्रयासों पर जो न किया एतबार
जिन्दगी असफल प्रयासों की राह में , उलझकर रह जाती है

जिनके प्रयासों में होती है जान, और होता है खुद पर एतबार
उनकी जिन्दगी सफलताओं के दौर से, गुजर रोशन हो जाती है

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
समाधान से खत्म हों,आपस की तकरार
समाधान से खत्म हों,आपस की तकरार
Dr Archana Gupta
कहीं चिरइन के कलरव बा...
कहीं चिरइन के कलरव बा...
आकाश महेशपुरी
हम मिलेंगे
हम मिलेंगे
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद
नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद
gurudeenverma198
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कहो जय भीम
कहो जय भीम
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
പൈതൽ
പൈതൽ
Heera S
ईश्वर के नाम पत्र
ईश्वर के नाम पत्र
Indu Singh
" इन्द्रधनुष "
Dr. Kishan tandon kranti
सृजन कुंज के स्थापना दिवस पर कुंज एवं कुंज परिवार को हार्दिक
सृजन कुंज के स्थापना दिवस पर कुंज एवं कुंज परिवार को हार्दिक
संजीव शुक्ल 'सचिन'
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
Shreedhar
मुझे इश्क़ है
मुझे इश्क़ है
हिमांशु Kulshrestha
RKASHA BANDHAN
RKASHA BANDHAN
डी. के. निवातिया
4470.*पूर्णिका*
4470.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
SATPAL CHAUHAN
हर पल एक नया ख़्वाब दिखाती है ज़िंदगी,
हर पल एक नया ख़्वाब दिखाती है ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मूक संवेदना🙏
मूक संवेदना🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पता नहीं लोग क्यूँ अपने वादे से मुकर जाते है.....
पता नहीं लोग क्यूँ अपने वादे से मुकर जाते है.....
shabina. Naaz
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
Rajesh Kumar Kaurav
छात्र संघ
छात्र संघ
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
Pramila sultan
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
हार नहीं मानूंगा
हार नहीं मानूंगा
पूर्वार्थ
*भूल गए अध्यात्म सनातन, जातिवाद बस याद किया (हिंदी गजल)*
*भूल गए अध्यात्म सनातन, जातिवाद बस याद किया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
- उलझने -
- उलझने -
bharat gehlot
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
इश्क
इश्क
Neeraj Mishra " नीर "
बूढ़ा बापू
बूढ़ा बापू
Madhu Shah
जन्म जला सा हूँ शायद..!!
जन्म जला सा हूँ शायद..!!
पंकज परिंदा
Loading...