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14 May 2023 · 1 min read

*नदिया किनारे मेरे गाँव में*

नदिया किनारे मेरे गाँव में
*********************

पीपल की सघनी छाँव मे,
नदिया किनारे मेरे गाँव में।

नहर किनारे हम चलते थे,
कांटे चुभते थे नंगे पाँव मे।

सीधे-साधे सादे पहरावे में,
दुनिया बहती थी भाव में।

गली-गली घूमते बाजार में,
सैर सपाटा पोखर नाव में।

जो मन में वही जुबान पर,
झुक जाते थे प्रेम दवाब में।

बाग -बगीचे और उद्यान में
जिंदा रहते थे गहरे चाव में।

फूलों से खिलते मानसीरत,
कांटे बेशक हो गुलाब में।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)

जन्नत कलरव ठहराव में।

Language: Hindi
121 Views
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