नटखट चंदा
ए चांद ,! तुम कितने प्यारे हो ,
धरती की आंख के तारे हो ।
बच्चे तुम्हें कहते प्यारे मामा ,
बड़ों की आस के तुम तारे हो ।
सुहागने जब रखें करवा चौथ ,
उन्हें एक झलक को तरसाते हो ।
वो तुम्हें देख खोलती जब व्रत ,
सदा सुहागन का वरदान देते हो।
धूप से सारे दिन तपती धरती को ,
रात्रि को शीतलता प्रदान करते हो ।
तुम अति सुंदर हो ना मेरे चंदा!
नजर न लगे तभी दाग रखते हो ।
तुम शायरों /कवियों की जान हो ,
उनकी कलम को स्व प्रेरणा देते हो ।
इश्क में जब दिल दीदार को तड़पे,
तुम महबूब का तस्वीर बन जाते हो।
दूर हो जब कोई अपना प्यारा तब ,
तुम प्रेम के संदेशक बन जाते हो ।
माएं अपने प्यारे पुत्र को चंदा कहती है,
यूं ही नही कहती तुम सच मैं प्यारे हो।
तुम्हीं में परमात्मा का रूप दिखता है ,
क्योंकि तुम उनका स्वर्गिक आइना हो ।
तुम्हारी तारीफ में और कहें ,बताओ !
तुम नहीं जानते, तुम हमारा जीवन हो।
गर आ जाए अमावस की मनहूस रात ,
बेसब्री से पूछता है ये दिल “तुम कहां हो?”
और तुम बादलों की ओट में मुस्काते हो,
जैसे तुम यशोदा के नटखट कान्हा हो ।
जग को केवल तुम शीतलता ही नहीं देते,
अपितु मानव को नम्रता का संदेश भी देते हो।
तुम्हारी सितारों जितनी उम्र हो ये दुआ करते है ,
सदा अपनी चांदनी का शीतल अमृत रस छलकाते रहो ,
ईश्वर से वे