नज्म
नज्म
कतरा कतरा के वो कतरा गए
कतरा कतरा के वो कतरा गए
हुई क्या ख़ता ये बता गये,
मोहब्बत में कहीं कुछ कमी रह गई
मोहब्बत में कही कुछ कमी रह गई
ये हमसे वो जता गए ।
हक़ सारे वो अदा कर गये
हमे वो ऐसे फना कर गये
(गोया उनको ऐसा लगा ,)
अजब की अदावत रही उस शख़्स की,
आँखों में आँखे डाल हमी को भरमा गए ।
हम तो अभी सँभले ही ना थे
हम तो अभी संभले ही ना थे
की वो एक और सितम ढा गए ,
हमारे इश्क़ के क़िस्से जो अब तक बंद थे,चिलमन की ओट में ,
उन्हें वो यूँ सरेआम कर गये ।
उन्हें वो यूँ सरेआम कर गए ।
इश्क़ की पाकीज़गी की कसमें खाने वाले
आज हमे बदनाम कर गये, रुसवा यूँ सरेआम कर गये ।
अब तो हम तमाशा ही बन गए
तेरी महफ़िल में ही रुसवा हो गये
अब क्या बिसात बिछाये कोई
हम तो मेरी जान अब तनहा हो गया
तनहा हो गये ।।
डॉ अर्चना मिश्रा