नचा रही हमको भैया, भारत की सरकार रे
नचा रही है हमको भैया,
भारत की सरकार रे|
तड़पा तड़पा करके भैया ,
देखो रही है मार रे||
कभी नचाती दिनभर भैया,
रात को करती बार रे|
कभी कभी खाना दे करके,
पेट मे मारे कटार रे||
नये नये नियम बनाके भैया
जनता को करती हलाल रे|
जयी कारण से भैया सुनलो,
अफसर नेता दलाल रे||
अपना पैसा अपना नाही,
बैंक मे लम्बी कतार रे|
जुल्म हजारो करते हम पर
कहते करते प्यार रे||
भारत माता तड़प रही है,
कृष्णा करो विचार रे|
नचा रही हमको भैया
भारत की सरकार रे||
✍कृष्णकांत गुर्जर