Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

नए साल का सपना

साल बदल जाये तो क्या ,
समय न अभी भी बदला है
पूस माघ में छुटकू के तन पर,
अब भी फटा ही झबला है
कब वो दिन आएगा जब,
कहेंगे अब युग बदला है
हर फूल का जीवन महके जब,
हर तारा उजला उजला है
नव वर्ष की पावन बेला पर,
आओ हम संकल्प करे
कोई बच्चा न भूखा हो,
और न जाड़े की मौत मरे
माँ की लोरी बाप का साया,
हर पल उसे नसीब रहे
कलम,कॉपी, स्कूल,स्वास्थ्य,
उसके सदा करीब रहे…

30 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सहारा...
सहारा...
Naushaba Suriya
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
तेरी यादें बजती रहती हैं घुंघरूओं की तरह,
तेरी यादें बजती रहती हैं घुंघरूओं की तरह,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
Neerja Sharma
"जीवन का प्रमेय"
Dr. Kishan tandon kranti
चाँद और इन्सान
चाँद और इन्सान
Kanchan Khanna
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
Priya princess panwar
ग़जब सा सिलसला तेरी साँसों का
ग़जब सा सिलसला तेरी साँसों का
Satyaveer vaishnav
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
Raju Gajbhiye
मर्द
मर्द
Shubham Anand Manmeet
"शायरा सँग होली"-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*मकर संक्रांति पर्व
*मकर संक्रांति पर्व"*
Shashi kala vyas
'क्या कहता है दिल'
'क्या कहता है दिल'
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
वृक्ष पुकार
वृक्ष पुकार
संजय कुमार संजू
झूठी हमदर्दियां
झूठी हमदर्दियां
Surinder blackpen
*pyramid*
*pyramid*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
Sanjay ' शून्य'
3358.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3358.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
Suryakant Dwivedi
लेखनी का सफर
लेखनी का सफर
Sunil Maheshwari
जीवन उद्देश्य
जीवन उद्देश्य
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हम जितने ही सहज होगें,
हम जितने ही सहज होगें,
लक्ष्मी सिंह
*रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)*
*रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दिल पे पत्थर ना रखो
दिल पे पत्थर ना रखो
shabina. Naaz
लघुकथा क्या है
लघुकथा क्या है
आचार्य ओम नीरव
कर्त्तव्य
कर्त्तव्य
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
#पैरोडी-
#पैरोडी-
*प्रणय प्रभात*
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
डी. के. निवातिया
Loading...