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16 Feb 2024 · 1 min read

ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम

कल-कल करती नदियों का स्वर,
सरसराहट करके बहते पवन ।

बारिश की हल्की छम-छम का मधुर आनंद,
सुरीली ध्वनि कोयल और पंछियो की,
धरा मे भरते कितने सरगम।।

प्रकृति के संगीत की मोहक ध्वनि,
ना जाने कैसे दब गये।

गाड़ियों की तीव्र ध्वनियों मे,
कानों को भेदते शोर-गुल,
मानव निर्मित ध्वनि यंत्र।।

अति बढ़ रही ध्वनि प्रदूषण की,
शांति का वातावरण हो रहा ख़त्म ।

मन मस्तिक में भी दुष्प्रभाव पड़ता,
श्रवण सकती कमजोर होती ,
यूँ ही व्यस्त रहे अति ध्वनि करने में।।

प्रकृति के अनुकूल रहना,
वातावरण में शांति लाना।

अनुचित शोर शराबा न करें,
शिक्षित हो तो रखो ध्यान,
पृथ्वी की शांति न करो भंग।।

जानलेवा ना बन जाए प्राणो का,
जागरूक हो मानव की संतान।

ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम,
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब बंद,
ध्वनि प्रदूषण है प्रदूषण का एक अंग।

🙏बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

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