धूप
सूरज की पहली किरण संग
जीवन में भरने को नवरंग
उज्जवलता लिए पहन सुनहरा भेष
कर्म शील प्रगति पथ जीवन का
आकाश से धरा पर उतर आईं धूप
जन- जन को देने संदेश
देखो आई इठलाती हुई सी धूप
प्रकृति के कण- कण में बिखरी
फूल पत्तों नव कलियों में निखरी
ऊंचे पर्वतों बहती नदियां की लहरों संग
सब ओर अपना आधिपत्य जमा कर
देखो मुस्कुरा रही है धूप
जीवन में छाए घने कोहरे
चिन्ता शोक निराशा मिटाकर
उत्साह और उमंग फिर से भरने
जीवन पथ में राह दिखाने
देखो आकाश से आई सुनहरी धूप
नेहा
खैरथल अलवर (राजस्थान)