” धूप-छाँव “
” धूप-छाँव ”
धूप-छाँव है ये सारी धन-दौलत,
कभी आता तो कभी जाता है।
दुनिया जीतने वाला सिकन्दर भी
सब कुछ यहीं छोड़ जाता है।
” धूप-छाँव ”
धूप-छाँव है ये सारी धन-दौलत,
कभी आता तो कभी जाता है।
दुनिया जीतने वाला सिकन्दर भी
सब कुछ यहीं छोड़ जाता है।