धुआँ सी ज़िंदगी
तुमने केवल यादों की राख को देखा है,
हर कश में जो धुआँ निकला
वो ठीक से नहीं देखा
वो धुआँ नहीं मैं ख़ुद था
डा राजीव “सागरी”
तुमने केवल यादों की राख को देखा है,
हर कश में जो धुआँ निकला
वो ठीक से नहीं देखा
वो धुआँ नहीं मैं ख़ुद था
डा राजीव “सागरी”