“धीरे-धीरे”
“धीरे-धीरे”
धीरे-धीरे ही
मरता है आदमी।
धीरे-धीरे ही
दिल से ख्वाहिशें
आँखों से सपने
सपनों से रंग
रंगों से दुनिया
खत्म होती जाती है,
फिर मौत आ जाती है।
“धीरे-धीरे”
धीरे-धीरे ही
मरता है आदमी।
धीरे-धीरे ही
दिल से ख्वाहिशें
आँखों से सपने
सपनों से रंग
रंगों से दुनिया
खत्म होती जाती है,
फिर मौत आ जाती है।