धीरे चल ज़िंदगी
थोड़ा धीरे चल जिंदगी
गमों के फेरे जो थे
खुशियों के कुछ घेरे है
आँसू उसके
इन आँखों में उतर तो जाए
जरा सा जी तो लेने दो
थोड़ा धीरे चल जिंदगी
राह में मिली
खोई सी पोटली इक
उन पलो ,उन ख्वाबों को
नसीब बन तो जाने दो
थोड़ा धीरे चल जिंदगी
कुछ अनकही सी
जो गजल हुई
इश्क जो इक
इबादत हुआ
उसे कुबूल होने तो दो
थोड़ा धीरे चल जिंदगी
वो जो सितारा
फिर से आया है
कुछ लकीरे खींच कर
चैन से सोया है
उसे कुछ देर सो लेने तो दो
थोड़ा धीरे चल जिंदगी
सुधियो के वन में
वो रास्ते वो मंजिल
वो नहर के किनारे
गुमनाम से हुए लम्हें
कुछ राहे तय तो कर लेने तो दो
थोड़ा धीरे चल जिंदगी