धागे…
धागे…
धागे मन्नतों का हो या
फिर हो किसी चढ़ावे का,
गले में बँधे हो या
बँधे हो हाथ में,
हर धागे से बँधा हूँ।
धागे बरगद के पेड़ पर लपेटा गया हो या
लपेटा गया हो किसी पीपल के पेड़ पर,
छोटा सा पीपल का पेड़ हो या
हो फिर एक विशाल बरगद,
हर धागे से बँधा हूँ।
धागे बाँधे हो विश्वास का या
हो किसी आकांक्षा का,
आस लगाकर बाँधी गयी हो या
बाँधी गयी हो किसी उम्मीद के बहाने,
हर धागे से बँधा हूँ।
©✍️ शशि धर कुमार