धर्म अर्थ कम मोक्ष
आओ आज करते हम चर्चा,
धर्म अर्थ मोक्ष काम की
गहन ज्ञान का सागर है ये,
परिचर्चा बहुत ही काम की
कुछ भी अर्थ हीन नहीं सृष्टि में ,
दोष मात्र मानव कि दृष्टि में
ये पंच प्रवृति उपयोगी जीवन में ,
विकार यही दुष्प्रयोग यदि मन में
तुमको प्राणी सर्वश्रेष्ठ बनाया
लेकिन तूने कर्ता को भुलाया
उलझ गया तू झूठी मोह माया
सफल उत्कर्ष में तू भरमाया
श्वांस श्वांस जो रोम रोम बसा है
चैतन्य आत्म जो सर्वस्व रमा है
सोच क्या उद्देश्य जीवन का
सोच क्या निमित्त तेरे कर्म का
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