धरती पर स्वर्ग
ये वादियां ये बादल
कुछ तो कह रहे हैं हमसे
ऐसे ही आया करो
अब दूर रहा न करो हमसे।।
घने पेड़ देवदार के
खड़े थे इंतजार में मेरे
पास आकर लग रहा
मिल गए है बिछड़े मेरे।।
छटपटा रहे है बादल भी
मिलने को है तुमसे बेकरार
आ जाओ मिलने तुम भी
अब मेरे इन दोस्तों से तो यार।।
देखकर ये हसीं नज़ारे
प्रफुल्लित हो रहा है मेरा मन
जब चलते है ये साथ हमारे
दूर हो जाती है चेहरे की शिकन।।
अपनापन लग रहा है यहां
दिल को सुकून मिल रहा है अब यहीं
थोड़ी देर थम जा ऐ वक्त
ठहरने का मन कर रहा है अब यहीं।।
नीले आकाश में बादल सैर कर रहे हैं
और हरे जंगलों में मैं सैर कर रहा हूं
लगता है धरती पर स्वर्ग यहीं
इस बात की अनुभूति कर रहा हूं।।