*धरती का वरदान*
जीवन में सभी उमंग,
फिर से छाने लगी,
आम के पेड़ों में
फिर से बौर आने लगी
याद आता है वो कल
जब लाया था एक बीज
प्रेम प्राण से मैंने उसको
दिया था जल से सींच
उस बीज में एक बार
अंकुरता छाने लगी
आम के पेड़ों में
फिर से बौर आने लगी
वर्षों के अथक प्रयास से
इस वसुधा के प्रभाव से मेहनत रंग लाने लगी
आम के पेड़ों में
फिर से बौर आने लगी
सभी पथिक, पशु और खग लेते हैं इसकी छाया
देख आम को पेड़ों पर
बच्चों का मन है ललचाया
इस सुखद जीवन को देख मन हर्षोने लगी
आम के पेड़ों में
फिर से बौर आने लगी
आम के पेड़ों में
फिर से बौर आने लगी
शशांक मिश्रा