धन्य हमारी परंपरा
** मुक्तक **
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प्राणिमात्र हित भाव प्रबल है,
धन्य हमारी परंपरा।
नर सेवा नारायण सेवा,
हर मन में है भाव भरा।
विश्व गुरू है देश हमारा,
ज्ञान और विज्ञान लिए।
नदियां अति पावन हैं इसकी,
पर्वत घाटी पुण्य धरा।
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मातृभूमि के लिए समर्पित,
जीवन का क्षण क्षण करते।
परिपाटी है युगों-युगों से,
इसी हेतु जीते मरते।
रीत निभाते बलिदानों की,
केसरिया बाना पहने।
भारत मां के सैनिक प्यारे,
कष्ट सभी मां के हरते।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)