धधक रही हृदय में ज्वाला —
वीर बलिदानी सुभाष चन्द्र बोस जी की स्मृति में हमारे देश के वीर जवानों को मेरा स्वरचित यह गीत समर्पित है
शीर्षक–
धधक रही हृदय में ज्वाला-
वीर जवान बढे चलो, अब आगे अपनी जीत है,
फौलादी सीने हैं अपने, माटी से अपनी प्रीत है !
चट्टानें छोड़ेंगी रस्ता,पर्वत भी झुक जायेंगे,
देख हौंसला सेना का,दिनकर मंगल गायेंगे!
कलकल बहती सरिता की,धारा का मुख बदलेगा ,
धोखेबाज अरि का मस्तक, कट चरणों में झूलेगा!
होगी शत्रु की दीन दशा, यही हमारी जीत है,
फौलादी सीने हैं अपने, माटी से अपनी प्रीत है!
धधक रही हृदय में ज्वाला, तुम उसका प्रतिशोध लो,
आँख उठाकर देखें शत्रु, उसकी आंखें नोच लो!
एक गिरे जवान हमारा, बीस मारकर होश लो,
लहू में अपने भरो जवानी, साँसों में लोहे का जोश हो !
काँपेगा तब थर- थर दुश्मन, यही हमारी जीत है,
फौलादी सीने हैं अपने, माटी से अपनी प्रीत है!
देश का गौरव चन्दन माटी, शौर्य तिलक लगायेगा ,
जीत का सेहरा बाँधा तो, घर संसार रिझायेगा !
शहीद हुए जो देश की खातिर,नाम अमर कर जायेगा ,
दोनों हाल में अक्षय कीर्ति, सदा अमर कहलायेगा!
शुचि गुणगान बने इतिहास में,यही गौरव की रीत है,
फौलादी सीने हैं अपने, माटी से अपनी प्रीत है !!
✍️ सीमा गर्ग ‘मंजरी’
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।