द्वार मेरे आयी है माँ
द्वार मेरे आयी है माँ , दरबार तेरा आज सजा दूँगी
देख दशा भारत में बेटियों की क्या, हर बात बता दूँगी
नौरूप धारिणी कहलाती माँ ,भटकतों को राह दिखा दो माँ
कुत्सित हो गयी मानसिकता ,उनको सद् मार्ग पर ला दो माँ
प्रथम तुम शैल पुत्री कहलाओ ,सौम्य भाव हर जन में जागे
दो शक्ति बेटियों को ऐसी , कि देख कर दुष्ट जन भागे
दितीय तुम ब्रहमचारिणी , सद आचरण कूट कूट कर भर दो
मानक मूल्य खो गये , विषम स्थिति में भी न डगमग हो
तृतीय तुम चन्द्रघन्टे माँ ,शांति और कल्याण दो माँ
पतित हो गयी है भारतभूमि , पावनता का दान दो माँ
चतुर्थ तुम कुष्मांडा स्वरुपे , आदिशक्ति कहलाती हो माँ
इस जगत के चर अचर जीवों में , तेजमयी प्राण भर दो माँ
पंचम तुम सकन्द स्वरूपे , नव चेतना सिद्धि प्रदायिनि माँ
कविकुल को दे नवचेतना , रघुवशम काव्य रचायिनी माँ
षष्ठम तुम कात्यायनी देवी , चत्वार फलों की दात्री माँ
रोग शोक संताप दूर कर , जन मन के पाप विनाशिनी माँ
सप्तम कालरात्री महामाये , आसुरी शक्ति का कर विनाश माँ
निडर बना बेटियों को , दैत्य प्रवृत्ति हैवानों को दे त्रास माँ
अष्टम तुम महागोरी कहलाओ , श्वेत वस्त्र धारिणी श्वेताम्बरधरा
पूज्य भाव प्रसन्नता भर कर , गंगाजल सा पावन मन दो माँ
नौवीं तुम सिद्धीदात्री माँ हो , अष्टसिद्धि का वरदान दो माँ
मिथ्याजग असारता का करा बोध , अमरता का दान दो माँ