दो बहनो का मिलन – वार्ता – (हिंदी-अंग्रेजी)
दो बहनो का मिलन – वार्ता – (हिंदी अंग्रेजी)
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दरवाजे पर ..दस्तक होती है ….
डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..
डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..
हू इस आउट साइड ऑन द डोर …..
(अंदर से आवाज आई)
जी …..जी मै….मै हूँ हिंदी …….!
आपसे मिलने आई हूँ !
ओह….. वेल … !
यू आर ……कम इन …!
प्रणाम ….अंग्रेजी बहन ………!
(हिंदी बोली)
वेलकम माय एल्डर सिस्टर ………हाउ आर यू
(अंग्रेजी ने पूछा)
जी मै बिल्कुल ठीक हूँ आप बतायें
(हिंदी ने जबाब दिया)
आई ऍम ऑल्सो वेल ……..यू से …हाउ कम टुडे..?
(अंग्रेजी ने पुछा)
बस ऐसे ही बरबस मिलन की इच्छा हुई आपसे ……..अत: चली आई !
आज मेरा दिवस है…., तुम तो आने से रही …सोचा मै ही मिल आती हूँ छोटी बहन से !
(हिंदी ने शालीनता से जबाब दिया)
इटस माय प्लेज़र………!
यू से ..हाउ इस गोइंग इन लाइफ ……….!
(अंग्रेजी ने कहा)
बस कुछ ख़ास नहीं …………चल रहा है जिंदगी …..ऐसे ही …….दौड़ती ..भागती …कभी गिरती …सम्भलती सी …!
(हिंदी ने जबाब दिया )
आई हिअर………. देट……. नवडेज़ …..यू …. आर… गेटिंग …… वैरी वेल…… एन्ड ……….अप्प्रेसिएटेड…..!
(अंग्रजी ने कहा )
बस आपकी कृपा है …जो हमे भी मान मिलने लगा है … (हिंदी ने प्रत्युत्तर के कहा)
यू आर सेइंग वैरी ट्रू ,,, माय डिअर सिस्टर …….यू नो आई एम् वैरी सैड नाउ डेज
(अंग्रेजी ने प्रतुत्तर में कहा)
एक बात कहूं बहन अगर बुरा न मानो …….
(हिंदी बोली)
व्हाई नॉट ……..टेल में प्लीज़ ………
(अंग्रेजी ने उत्तर दिया)
आज हिंदी दिवस है ……….कहने के लिए मेरा दिवस है ….इसलिए आज वार्ता भी मेरी ही भाषा में होनी चाहिए !
(हिंदी ने बड़े प्रेम और हास्य अंदाज में बात कि)
ओह्ह्ह ……..यू आर राइट ………सॉरी…. आई मीन……… आपने सही कहा ये बात मुझे नहीं भूलनी चाहिए थी …!
चलो …आओ ….साथ बैठकर चाय पीते है और बाते करते है ……….
(अंग्रेजी बोली)
दोनों साथ बैठकर बाते करने लगते है ……….!
कुछ सामान्य औपचारिक बाते होने के बाद अंग्रेजी ने अपनी व्यथा का वर्णन करना शुरू किया ..
अब क्या बताऊं बहन आजकल मेरी हालत भी कुछ अच्छी नहीं है………. .कहने को मै शीर्ष पर हूँ …..मगर……… जो दुर्गति मेरी कि जा रही है …उसको शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता ……… सारे नियम कायदे ताक पर रख ………..मेरे हाथ पैर तोड़कर मेरा प्रयोग किया जा रहा है ……….मुझे अपंग बनाकर रख दिया है ….इन इंसान रूपी प्राणी ने ….असंतोष जाहिर करते हुए अंग्रेजी बोली …….
मुझ से अच्छी तुम हो बहन……………..कई भाषाओ का मिश्रण है तुम में ………..किसी से भी साथ आसानी से जुड़ जाती हो ………..और अब तो लोगो में आपका रूतबा और भी अधिक बढ़ रहा है ……..पहले हिंदी बोलने वाले को हीन भावना से देखा जाता था ….मगर आज …….आज तो हालात बदल रहे है ………. हिंदी में प्रखरता रखने वाले वयक्तियों को विशिष्ट स्थान दिया जाता है ………उनके प्रति सम्मान स्वत : ही बढ़ने लगता है……………कम से कम मेरी तरह बुरी स्थिति तो नहीं है ………..!
हिंदी मन ही मन मुस्कुरा रही थी ………और सोच रही थी …..जिसे मै इतना किस्मत कि धनि समझती आई हूँ …वास्तव में वो तो मुझसे भी ज्यादा दुखी है …… सच कहा है किसी ने दूसरे कि थाली में लड्डू बड़ा ही दिखाई देता है ……होता सब समान ही है ……….!
यह सोचते हुए जबाब देते हुए हिंदी बोली ………….
कोई बात नहीं बहन इतना दुखी न हो…….हम दोनों…..एक ही नाव के सवार है ………..दोनों ही अंतर्राष्ट्रीय मंच कि शान है …दोनों ही परस्पर संवाद कि परिचायक है ……….लेकिन दुनिया के इस खतरनाक प्राणी (मनुष्य) से कौन बच पाया है……….. समस्त सृष्टि का ये विनाशक है ….फिर हम कहा बच सकते है ………..भला हो उन भद्र जनो का जिनकी कार्य कुशलता और भाषा प्रेम के कारण हमारा अस्तित्व अभी भी ज़िंदा है !
यह कहते हुए दोनों कि चर्चा का समापन होता है और हिंदी अंग्रेजी से विदाई लेती हुई ….हृदय में धैर्य और संतोष के भाव लिए ..ख़ुशी ख़ुशी अपने घर कि और चल पड़ती है !
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कृति – डी के निवातिया