दो अक्टूबर का दिन
अवतरित हस्तिया यहाँ, यह दो अक्टूबर का दिन।
फैला विश्व अहिंसा सन्देश, दो अक्टूबर का दिन।।
सादगी, ईमान, उच्च विचार पर खुली है वो किताब।
सत्यपथ के कठिन सफर का, दो अक्टूबर का दिन ।।
उपदेश कहना और उपदेश सुनना अलग बात है।
जो कहना पहले आत्मसात करना अलग बात है।।
कथनी करनी न अन्तर, त्याग तपस्या का है सफर।
राष्ट्र नायक में हो सन्त, समर्पण हो अलग बात है।।
‘लहरी’ यह अवतरण दिवस, दो अक्टूबर का दिन।
फैला विश्व अहिंसा सन्देश, दो अक्टूबर का दिन।।
राष्ट्रपिता गांधी जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी की जयंती पर सादर नमन।
( रचनाकार- डॉ शिव ‘लहरी’)