दोहे
विधा- दोहे
प्रदत्त शब्द- औचित्य, पुलिन, पूनम, साकेत, बुद्ध।
विद्या का #औचित्य क्या, बिना विनय, गुण, ज्ञान।
पढ़-लिखकर पाता मनुज, जीवन में सम्मान।।
बिना #पुलिन आधार के, मूरत गढ़ी न जाय।
वात चले जब ज़ोर से, माटी धूल उड़ाय।।
#पूनम की शुभ चंद्रिका, रति का ज्यों शृंगार।
प्राजक्ता की सेज प्रिय, करें प्रणय अभिसार।।
भटक रहा जन जगत में, धरे न मन में धीर।
राम धाम #साकेत में, हनुमत हरते पीर।।
प्रेम, दया अरु धर्म से, कर अनुशीलन #बुद्ध।
राग-रंग को त्याग दे ,तब मन होगा शुद्ध।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)