दोहे
करूं तिहारी चाकरी
नित्य रहूं मैं संग
संसार ये सारा न दिखे
ऐसा हो सत्संग।
दया क्षमा नेकी करे
कर के जाए भूल
दूजे की नेकी न भूले
यह जीवन को मूल।।
करूं तिहारी चाकरी
नित्य रहूं मैं संग
संसार ये सारा न दिखे
ऐसा हो सत्संग।
दया क्षमा नेकी करे
कर के जाए भूल
दूजे की नेकी न भूले
यह जीवन को मूल।।