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8 Oct 2018 · 1 min read

बदली नही लकीर

सरकारें बदली कई,….बदले कई वजीर !
हाथों मे धनहीन की ,बदली नही लकीर !!

आओ छीनें रोशनी,सूरज की इस बार !
करते रहते है यही, जुगनू कई विचार ! !

छेड़ा मैने जब कभी,सच्चाई का साज़ !
मेरे अपने हो गए ,…कितने ही नाराज़ !!

होना लेकर नम्रता, आगे उनके पेश !
देतें हैं जो वक्त पर,अपना वक्त रमेश !!

गगरी आधी है अगर, ……लेगी मित्र उछाल !
कितना भी रख लीजिए,उसको आप सँभाल !!

किया हमेशा आपने,अगर झूठ ही पेश !
होगा घेरे मे सदा,..शक के सत्य रमेश ! !
रमेश शर्मा

Language: Hindi
2 Likes · 307 Views
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