दोहे- मोबाइल पर
दोहे- मोबाइल पर
मिलता इंटरनेट पर, सही ग़लत सब ज्ञान।
उचित रहे जो लक्ष्य में, देना उसपर ध्यान।।
दृश्य छोड़ता छाप हर, दर्शन कर अभिराम।
बद करता बदनाम है, शुद्ध बने आयाम।।
मोबाइल उपयोग कर, जितना हो अनिवार्य।
अति इसकी है रुग्णता, बाधित करती कार्य।।
मोबाइल के दौर में, देखो जग का छोर।
छूट न जाए पर कहीं, संस्कारों की डोर।।
बातें करना कम हुआ, मोबाइल में ध्यान।
प्रेम-भाव जाए न मर, रख इतना अनुमान।।
भोजन अभी परोसकर, हुई फ़ोन में लीन।
कुता आया खा गया, बना हृदय ग़मगीन।।
लीड लगी थी कान में, मन था निज मदहोश।
उड़ा गई गाड़ी उसे, मिटा ज़िंदगी जोश।।
आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित दोहे