दोहे मां पर
मां मन की ज़मीर है, देह की है काया
काशी काबा है वहीं, जग की है माया ।
मां से ही हैं हम सब, मां बिना न कोई
कृष्ण भये अवतरित, जब देवकी होई।
मां मन की ज़मीर है, देह की है काया
काशी काबा है वहीं, जग की है माया ।
मां से ही हैं हम सब, मां बिना न कोई
कृष्ण भये अवतरित, जब देवकी होई।