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22 Sep 2020 · 1 min read

#दोहे नीति के

पानी होता सम पिता,बेटा-बेटी वृक्ष।
लकड़ी दे ना डूबने,चाहे ऊँचा अक्ष।।

गुरुवर विद्या धन रखे,करे शिष्य धनवान।
ज्यों सूरज दे रोशनी,रोशन करे जहान।।

राजा करता हित प्रजा,बनता नेक महान।
जो लूट प्रजा को रहा,राजा नहीं सुजान।।

पर हृदय तोड़ जो हँसे,मनुज नहीं शैतान।
सोना काटे कान जो,उसका क्या गुणगान।।

नेकी करके मौन जो,पावन आत्मा एक।
प्यास बुझाए कूप जो,भाए हृदय अनेक।।

#आर.एस.’प्रीतम’

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 338 Views
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