दोहे तरुण के।
झटपट निज मन को अगर, कर लोगे निष्पाप।
परम पिता को भी सहज, पा जाओगे आप।।
जो धीरज से काम ले,उसका ऊँचा नाम।
जल्दी में रहते सदा,बिगड़े उनके काम।।
पंकज शर्मा “तरुण “.
झटपट निज मन को अगर, कर लोगे निष्पाप।
परम पिता को भी सहज, पा जाओगे आप।।
जो धीरज से काम ले,उसका ऊँचा नाम।
जल्दी में रहते सदा,बिगड़े उनके काम।।
पंकज शर्मा “तरुण “.