दोहावली
1-
उथल-पुथल सी हो रही,नैन घटा के बीच।
कब होगी बरसात ये , तन मन जाए सींच।।
2-
लगे सूखने बाग वन, झुलसे कलियन गात।
काले मेघा आइए, कर दो अब बरसात ।।
3-
निश दिन बढ़ता जा रहा, गर्मी का आकार।
बूँदों का घन श्याम जी, दे दो अब उपहार ।।
4-
बिना पिया के प्रियतमा, सहती बिरह कलेश।
अभी न बरसो आँगना, पिया गये परदेश।।
5-
दादुर रस्ता ताकते, बैठ नदी के पार।।
बरखा जी कर आइए, बूँदों से सिंगार।।
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)