“दोस्त-दोस्ती और पल”
स्कूल की यादों को किताबों में छुपा के रखना,
जब भी खुलेंगी तो हाँसी और आँसू दोनों देंगीं।
ये वो यादें है जो सुकूँ के साथ बीती बारिश सी बरस जाती है।
अपने अंदर के बच्चे को कभी बड़ा होने मत देना,
वो तुम्हें ज़िन्दगी में दौड़ने को हिम्मत देगा,
और दोस्तों के साथ बिताए हुए पल,
ज़रा संभल कर रस्खना,
ये पल तुम्हें याद तो आएंगे,
मगर वापस नहीं आएंगे।
“लोहित टम्टा”