#दोस्ती क्या है?
कोई दौलत दोस्ती से बड़ी नहीं
कोई चाहत दोस्ती से बड़ी नहीं
कोई राहत दोस्ती से बड़ी नहीं
यार इबादत दोस्ती से बड़ी नहीं
सीखो दोस्ती को सज़दा करना तुम
इसे निभाओ सदा क़यामत तक तुम
दोस्ती में सच्चाई-मीठापन हो
दोस्ती में अच्छाई-अपनापन हो
काजल-नयनों-सा संग लिए दोस्ती
ख़ुशबू फूलों-सा अंग लिए दोस्ती
दीद बने दीवानापन दोस्ती में
नाज़ बने नज़राना धन दोस्ती में
खुद को हार खुशी उर जो दे जाए
बिन माँगे मोती यार लुटा पाए
बनें मिसालें जिसकी इस दुनिया में
कृष्ण-सुदामा-सा जो साथ निभाए
क़िस्मत से सच्चा दोस्त मिला करता
प्रीतम दुर्योधन-कर्ण हृदय खिला करता
हारो खुद को पर दोस्ती मत हारो
प्राण चार दिन के हैं हँसके वारो
#आर.एस.प्रीतम
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com