दोस्ती व्यापार
दुनियां में दोस्ती फकत व्यापार बन गयी,
मुहब्बत बे-वफाई की शिकार बन गयी।
भरते थे दम जो खास ज़माने में प्यार का,
आँखें खुली तो ज़िन्दगी बाज़ार बन गयी।
जब लुट गयी वफा और ज़फाओं में खो गयी,
तब ज़िन्दगी हसीन से ग़मगीन हो गयी।
कहते हैं सख्स बच गया कात था नाग का,
बे-मौत मर गया जिसे लत इश्क लग गयी।