देह की संरचना में
जो लोग कहते हैं
पञ्च तत्व से बना है
शरीर
वे भूल जाते हैं
शब्द और यादें भी
शामिल हैं
देह की संरचना में।
शब्द से
हवा को गति
आग को यति
पानी को तरलता
धरती को उर्वरता
आकाश को विस्तार
मिलता है,
और यादों से
चेतना का संसार
मिलता है।
देह से
शब्द और यादों के
पृथक हो जाने से
हो जाता है अन्त,
शेष रह जाता अनन्त।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति