देश है सदन ।
तेरा घर हो या मेरा घर,
अपने देश में, रहते हम सब
वही हमारा सच्चा सदन,
करते वंदन शत् – शत् नमन।
जननी है वह, वन्देमातरम् ,
जन्म-मरण ,जीवन पोषक,
हिंद सागर, हिंदी है शब्द,
करते वंदन शत् – शत् नमन।
झुकता शीश, माँ भारतीय के समक्ष,
पूजते उसको, देता है जो अन्न,
भिन्न-भिन्न नहीं, एक है सब,
करते वंदन शत् – शत् नमन।
तिरंगे की ,शान है अलग,
न्यौछावर है ,प्राण इस पर,
भारत माँ के, वीर सपूत,
करते वंदन शत् – शत् नमन।
जय हिंद है, जय-जय भारत,
भाग्यवान है, जन्म जो पावत् ,
महान देश है, एक ही भारत,
करते वंदन शत् – शत् नमन।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर (उoप्रo) ।