धन्य बिहार !
देश हमारा भारत प्यारा
अपना राज्य बिहार है।
इसकी है गौरव- गाथा
भविष्य उज्ज्वल आपार है।
इसकी सीमाओं को छूता
उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल है।
उत्तर में इसे है छूता
पड़ोसी देश नेपाल है।
युग- युग से गंगा बहती है
कोशी करती पुकार है
विश्व -शांति के संदेशों से
सुखी सारा संसार है।
मिथिला, मगध,अंग की धरती
बनी यहां आर्यों की बस्ती
वसुंधरा की पुत्री विदेही सीता
महावीर बुद्ध का अवतार है।
है गणतंत्र का बीज यहां
सत्य -अहिंसा का संदेश यहां
शिक्षा व सेवा का केंद्र यहां
विक्रमशिला, नालंदा, बौद्ध बिहार है।
है यहां राष्ट्र का गौरव
उद्यानों में फूलों का सौरभ
चाणक्य, चंद्रगुप्त, अशोक हैं
गुरु गोविंद, शेरशाह सूर है।
पीर अली, कुंवर सिंह, तिलक का
महात्मा गांधी का चंपारण हैं
देशरत्न, जयप्रकाश यहां का
बिहार केशरी का मुंगेर है।
यह धरती खेत खलिहान की
यह धरती नए बिहान की
गणित, ज्ञान और विज्ञान की
आर्यभट्ट, विद्यापति, दिनकर की है।
बौद्ध गया का धर्मचक्र आगे सदा बढ़ेगा
विकास का, विजय का रथ भी बढ़ेगा
समर शेष है, शेष समर भी जीतेंगे हम
बह रहा यहां सद्भाव का व्यार है।
दूर अभी बहुत है जाना
बनाना है समृद्ध बिहार
जन- जन का सपना करना साकार है
सभी को, सबका मिलता प्यार हैं।
धन्य बिहार! धन्य बिहार!! धन्य बिहार है!!
***************************************
स्वरचित: घनश्याम पोद्दार, मुंगेर