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16 Jun 2018 · 1 min read

देश मेरा अलबेला

देश मेरा अलबेला

16/06/2018

भारत भूमि पावन इतनी,
पापों का सारे नाश करे।
दुष्ट न कोई टिक पाए,
ईश्वर धरती में वास करे।।1।।

भिन्न यहां के रंग रूप है,
अलग यहाँ की है बोली।
मंदिर और मस्जिद में जाकर
भरते है सब अपनी झोली।।2।।

एक घाट पर बाघ हिरन ,
जहां पीते थे प्रेम से पानी।
ऐसा निर्मल देश है मेरा,
है पावन इसकी कहानी।।3।।

श्री राम ने वचन की खातिर,
वन जाना स्वीकार किया।
जहां कृष्ण ने प्रेम की खातिर,
रूप नारि का धार लिया।।4।।

धरती को पावन करने का,
जब भागीरथ का प्रण हुआ।
तब जाकर बैकुंठ से माता,
माँ गंगा का अवतरण हुआ।।5।।

स्वरचित
तरुण सिंह पवार

Language: Hindi
1 Like · 406 Views
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