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9 Jul 2023 · 1 min read

मुझे मेरी फितरत को बदलना है

हाल ए इश्क में, जी रहा था मैं
हाल ए मौसम, से जुदा था मै
तुझपे शक करना, फितरत था मेरा
मुझे नही था पता,कि गुनेहगार था मै।

अब तो हालात ठीक भी है
मेरे जिंदगी में यही सीख भी है
वादा है मेरा, अब ऐसी गुनाह नहीं करना
अब जाना हु मैं
जीवन में सुख दुःख का रीत भी है ।

गलतियों का ऐहसास होना, बहुत जरूरी है
प्रेम के बिना जिंदगी अधूरी है
पर माया के घेरे में, हम घिर जाते है
फिर सच्चाई से दूर हो जाते है
अब संवारना है मुझे, अपना जीवन
अब समर्पण है मेरा तन मन
पर अब दूर नही रहना है
मुझे मेरी फितरत को, बदलना है ।

✍️ बसंत भगवान राय

4 Likes · 1 Comment · 189 Views
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