देश भक्त का अंतिम दिन
देश भक्त का अंतिम दिन –
सन अठ्ठारह सौ सत्तर में जन्म
आकार अलफ्रेड पार्क प्रयाग राज की शान गोरों के शासन शान।।
किरणों संग मुस्काते अल्फ्रेट पार्क पुष्प हर मौसम में इतराती बलखाती पौध पत्तियों के पराम्परागत विकसित वन ।।
प्रकृति मनोहारी छटा विखेरती अल्फ्रेट युवा बृद्ध नारी पुरुष के स्वास्थ स्वस्थ के मन सुबह शाम।।
कदम ताल टहलते राजनीति और सत्ता चर्चों के संग अनंत सुबह शाम आने जाने वालों की यादों खुशियो का अल्फ्रेट अंतरंग।।
फरवरी सन उन्नीस सौ इकतीस सुखदेव आज़ाद अलफ्रेड कि उत्साह उमंग का देश प्रेम आज़ादी का भाव ।।
भावना कर्म धर्म का नीति नियोजन संग गद्दारों का वर्तमान इतिहास पुराना गद्दारी से भारत के इतिहास लहूलुहान ।।
भारत ने अपने ही गद्दारों का पराभव पराजय देखा सुखदेव चंद्रशेखर आज़ाद अलफ्रेड मिलने की सूचना ऐसे ही गद्दार ।।
साजिश ब्रिटिश हुकूमत कि बन गयी ताकत ब्रिटिश पुलिश ने घेर लिया आज़ाद ।।
हार नही मानी देश प्रेम के तूफान ने लड़ता रहा अकेले एक अकेला गोलीया भी हो गयी समाप्त ।।
कोई राह नही पैदा आज़ाद आज़ाद जिया आज़ाद ही जाने का संकल्प
संकल्प आजाद शेष बची एक गोली माँ भारती को किया प्राणम माँ भारती को मुक्त नही देख सका मन पश्चाताप।।
खुद की गोली खुद कि इच्छा और परीक्षा देश भक्त चंद्रशेखर आजाद कर दिया खुद का बलिदान।।
मृत शरीर जाने कितनी गोली की बरसात ब्रिटिश हुकूमत कि दहशत निकट नही जा पाती चन्द्रशेखर ऐसा आजाद।।
खुद बलिदान होकर दिया देश युवा शक्ति को जीवन जीने का मकशद युवा राष्ट्र संग्राम।।
इतिहास अमर हो गया गौरव से भारत का मस्तक ऊँचा उठा युवा हुंकार चंद्रशेखर का त्याग
बलिदान।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।