*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
आंँखें सबकी मिची हुई हैं, चारों ओर अंँधेरा है।
अस्मत इज्जत तार-तार हुई, ऐसा नया सवेरा है।
देश में कितनी घटनाएंँ ऐसी, संख्या गिनना भारी है।
न्याय में देरी सजा में देरी, राजा की लाचारी है।
जो मीडिया शोर मचाता, अब सब के मुंँह पर ताला है।
बेमतलब की चीजों पर बहस, कुछ तो गड़बड़झाला है।
कर्तव्य से विमुख हुए सब, घटना मणिपुर की देखो।
माननीय साहब सब चुप हैं, आंँखें खोल कर तुम देखो।
इज्जत सबकी इज्जत होती, मांँ बहन तो सबके हैं।
कुछ को सुरक्षा जेड प्लस तुरन्त, कुछ क्यों रहते छुपके हैं?
कहीं मुंँह पर पेशाब होता, कहीं नंगा घुमाएंँ नारी को।
क्यों नहीं सजा दी जाती, दुष्ट अत्याचारी को ?
ऐसे विश्व गुरु बनेंगे, खत्म करो तैयारी को।
नारी की ही इज्जत नहीं लूटी,शासन व्यवस्था फेल है।
वहशी दरिंदों को क्यों नहीं, डर सजा ना जेल है?
जाति है कि जाती नहीं, किसी जाति पर वार क्यों?
कुछ पर अत्याचार क्यों, दोगला सा व्यवहार क्यों?
इज्जत सबको प्यारी है, हम सबकी जिम्मेदारी है।
वोट की ताकत भारी है, वो ताकत भी हमारी है।
कुर्सी छीनो उस राजा से, जो इतना लाचारी है।
इस घटना से दुष्यन्त कुमार का ह्रदय, भाव विभोर में डोल गया।
लिखने को तो बहुत बचा है, पर मैं इतना बोल गया।
ऐसी घटना देखी सुनी सबने, फिर भी आप मौन हैं।
फिर जिम्मेदार कौन है, इसका जिम्मेदार कौन है?