*देव पधारो हृदय कमल में, भीतर तुमको पाऊॅं (भक्ति-गीत)*
देव पधारो हृदय कमल में, भीतर तुमको पाऊॅं (भक्ति-गीत)
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देव पधारो हृदय कमल में, भीतर तुमको पाऊॅं
1)
जब मैं तुम्हें बुलाऊॅं भगवन, देरी नहीं लगाना
मेरी सब भूलें बिसराकर, प्रभु जल्दी आ जाना
सुध-बुध खोकर अपनी सारी, तुम में ही खो जाऊॅं
2)
ऑंख मूॅंद कर जगत न देखूॅं, प्रभु तुमको पाने को
रोम-रोम आतुर हो जाए, मौन तुम्हें गाने को
क्षण-भर में मस्ती बन छाओ, जब मैं ध्यान लगाऊॅं
3)
जीवन वही धन्य है केवल, जिसने तुमको पाया
मिलन तुम्हारा क्षण का पाकर, धन्य हो गई काया
जन्म-जन्म से खोज रहा हूॅं, कैसे तुम तक आऊॅं
देव पधारो हृदय कमल में, भीतर तुमको पाऊॅं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451