देव दीपावली
आज देव दीपावली,लाई खुशी हजार ।
दीपों की लड़ियाँ सजी, रौशन है घर-बार।।
जग-मग कर चमके जगत, दूर अँधेरा आज।
दीपों का उत्सव मना, करते सब शुभ काज।।
फूलों रंगों से खुले, रंगोली का राज़।
रचती है बहु- बेटियाँ, करती खुद पर नाज़ ।।
फूल पत्तियों से सजे, तोरण लटके द्वार।
आज देव दीपावली,लाई खुशी हजार ।।
बरस रही लक्ष्मी कृपा,शुभ दिन मंगल योग।
लड्डू पेड़े बन रहे, खील बताशे भोग।।
भक्ति भाव से प्रार्थना, पूजा करते लोग।
ऋद्धि सिद्धि घर में बसे, तन मन रहे निरोग।।
बच्चों की किलकारियां, मस्ती की बौछार।
आज देव दीपावली,लाई खुशी हजार।।
मना पटाखों के बिना, हरा भरा त्यौहार।
अगली पीढ़ी साँस ले, चुभे न कोई खार ।।
द्वेष घृणा को दूर कर,बाटें सबको प्यार।।
हर घर में दीपक जले, मिले सुखद उपहार।।
ज्ञान दीप जलती रहे, ज्योतिर्मय संसार ।
आज देव दीपावली,लाई खुशी हजार ।।
-वेधा सिंह