देवता को भी मत बताना
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देवता को भी मत बताना अपना सच।
बाँट देगा रेवड़ी कि तरह
तेरे हाथ रहेंगे रिक्त ।
सच से भागो न
खुद से जाओगे फिसल।
देवता मुस्कुराता रहेगा
तुम हो जाओगे विकल।
जितना झूठ, जीने की रखोगे आरजू
उतना ही सच रोकेगा तेरा रास्ता।
देवता को भी न बताना अपना सच
तुम्हें मेरे ईश्वर का वास्ता।
तेरे निर्माण में स्पन्दन और
हवा,पानी,अग्नि है।
देवता के निर्माण में
न हवा न पानी न अग्नि है।
देवता भ्रम है,भ्रम ही देवत्व का है स्वरूप ।
सच तुम्हारा आकार है और वही तेरा रूप।
तमाम जिन्दगी झूठ जीते-२ उबते नहीं लोग।
क्षण भर के सच को जीकर पर,
मृत हो जाते हैं लोग।
झूठ ऐश्वर्यशाली है उसे जीओं।
सच निरीह है उसे विष की तरह पीओ।
सच तुम्हारा जीवन है
झूठ जीवन का आनंद।
यह अनंद पर,मृत्यु तुल्य कष्टप्रद है।
अनुभव हो तो बताना
मैं जी पाऊँगा
अपने सच का हिस्सा स्वच्छन्द।
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