समझदार तो मैं भी बहुत हूँ,
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
💐प्रेम कौतुक-537💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अजनबी बनकर आये थे हम तेरे इस शहर मे,
ग़ज़ल/नज़्म - मुझे दुश्मनों की गलियों में रहना पसन्द आता है
अफसोस मुझको भी बदलना पड़ा जमाने के साथ
*आवारा कुत्तों की समस्या: नगर पालिका रामपुर द्वारा आवेदन का
Ignorance is the best way to hurt someone .
पचीस साल पुराने स्वेटर के बारे में / MUSAFIR BAITHA
सत्य न्याय प्रेम प्रतीक जो
हम जाति से शुद्र नहीं थे. हम कर्म से शुद्र थे, पर बाबा साहब
जी रहे हैं सब इस शहर में बेज़ार से
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सफर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)