देख _ देख सांवली सलोनी — घनाक्षरी
देख-देख सांवली सलोनी तेरी सुरतिया।
उमंग तरंग मेरे दिल में आ जाती है।।
होठों पे लगा के लाली ,मतवाली चाल चले ।
अंखियों में मेरी तेरी छवि तो छा जाती है।।
गाल है कमाल तेरे,ऐसे बैमिसाल गौरी।
देखकर छोरियां तो खुद हां लजाती है।।
तुझसे न दूर रहूं, तुझको मै हूर कहूं।
तेरे सिवा मुझको तो,ओर कहां भाती है।।
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नैन है नशीले तेरे कजरारे काले काले।
गजरे की महक से केश लहराए है।।
बैन बोले ऐसे जैसे ,कोयलिया कूक रही।
मोर बोले सावन में पीहू पीहू गाए है।।
छम छम पायलिया पगो में जो बजती है।
रग रग मेरी भी तो,साथ निभाए है।।
रूप है अनूप तेरा,रहे साथ तेरा मेरा।
साथ साथ छूटे डेरा,दोनों हमसाए है।।
राजेश व्यास अनुनय