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7 May 2024 · 1 min read

” देखा है “

” देखा है ”
फूलों को काँटों पे सोते हुए,
तूफानों को कश्ती डुबोते हुए।
जख्मों को राहों पे हँसते हुए,
खुशियों को आँखें भिगोते हुए।

3 Likes · 3 Comments · 134 Views
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