” देखा है “
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” देखा है ”
फूलों को काँटों पे सोते हुए,
तूफानों को कश्ती डुबोते हुए।
जख्मों को राहों पे हँसते हुए,
खुशियों को आँखें भिगोते हुए।
” देखा है ”
फूलों को काँटों पे सोते हुए,
तूफानों को कश्ती डुबोते हुए।
जख्मों को राहों पे हँसते हुए,
खुशियों को आँखें भिगोते हुए।