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16 Jul 2023 · 1 min read

देखती तक नहीं वो घड़ी-भर मुझे

देखती तक नहीं वो घड़ी-भर मुझे
हाँ वही जो नहीं है मयस्सर मुझे

ख़ैर शायद मोहब्बत मेरी भूल थी
सो सज़ा भी मिलेगी जनम-भर मुझे

देखकर भी नज़र फेर लेती है वो
जो कभी मानती थी मुक़द्दर मुझे

ग़ैर की हो गई जो मुझे छोड़कर
क्यों सताती है वो याद आकर मुझे

आदमी हूँ बुरा सबसे कहती है वो
ऐब जिसके पता है अठत्तर मुझे

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
197 Views
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