दृढ़ निश्चय
ऐ मन
तू जिसे खोजता है
वो तेरे भीतर ही तो कही छुपा है
वो जिसे
तू मन से चाहता है
तुझ में ही तो रचा बसा है
आवाज़
जो तू सुनता है
वो अंतर्मन ही तो है तेरा
लक्ष्य
जो तू साधता है
जीवन कर्म ही तो है तेरा
तो सुन
रुक नहीं तू कहीं
कर वही जो मन में है ठानी
फिर देख
कामयाबी चूमेगा तू
सब जानेंगे तेरी कहानी
चल पड़
उस राह पर बेख़ौफ़
जिसे तू ने चुना है
अपने दृढ़ निश्चय पर ही तो
जीवन का ताना बाना बुना है
–प्रतीक