दृश्य अंधे ने देखा है क्या पूछिए!
एक मतला और चंद शे’र
आप बेघर से घर का पता पूछिए।
कैसे क्या क्या घटा हादसा पूछिए?
कितने सिद्दत से चाहा है मैंने तुम्हें
अपने दिल से मेरा क्या खता पूछिए?
उस तरफ़ आप हो इस तरफ़ मैं ही मैं।
बीच में कौन किसको रखा पूछिए?
पूछिए चांदनी का असर चांद से
कैसे जुगनू जला क्या पता पूछिए?
ये सियासत नहीं है मुहब्बत है जी
अपने दिल से मेरा राब्ता पूछिए।
आइने से न पूछो चमक आज तो
दृश्य अंधे ने देखा है क्या पूछिए?
मेरे सांसों में बसते रहे आप ही
प्यार का है नया सिलसिला पूछिए!
©दीपक झा “रुद्रा”