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17 Mar 2020 · 1 min read

भागती परछाइयां

मुझी से भागती हैं दूर अब परछाइयां मेरी
जमाना छोड़ दे अब, साथ हैं तन्हाइयां मेरी

नजर आने लगा हूं देखिए बचपन में पचपन का
तलाशी को चली हैं शहर की सब दाइयां मेरी

बना फिरता रहा मासूम, करके कत्ल मेरा ही
बनी हैं ढाल उसकी आजकल रुसवाइयां मेरी

रहा साया कभी मां का, पराए भी रहे अपने
मिली हैं गैर बनकर चाचियां अब ताइयां मेरी

भुलाकर सब गिले शिकवे नजर मेरी तरफ करते
यही कोशिश मिटा देती है दिल की खाइयां मेरी

लिखा है दर्द को ‘अरशद’ लहू की रोशनाई से
समझना मत इन्हें तुम फिक्र की गहराइयां मेरी

3 Likes · 1 Comment · 356 Views
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